उत्तर प्रदेश सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों के विकास को गति देने और जनभागीदारी सुनिश्चित करने के लिए एक अनूठी पहल की है – “उत्तर प्रदेश मातृभूमि योजना”। यह योजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “वोकल फॉर लोकल” और “आत्मनिर्भर भारत” के संकल्प से प्रेरित है, और इसका उद्देश्य राज्य के गांवों को आधुनिक, आत्मनिर्भर और समृद्ध बनाना है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा 15 सितंबर 2021 को इस योजना की घोषणा की गई थी, और 2 जून 2023 को पंचायती राज विभाग की प्रस्तावित योजना के रूप में इसका शुभारंभ किया गया।
क्या है मातृभूमि योजना का मूल ढांचा?
मातृभूमि योजना का मूल विचार यह है कि यदि कोई व्यक्ति अपने गांव के विकास के लिए कोई सार्वजनिक निर्माण कार्य करवाना चाहता है, तो वह उसमें वित्तीय योगदान दे सकता है। इस योजना के तहत, परियोजना की कुल लागत का 60% हिस्सा दानदाता या इच्छुक व्यक्ति/संस्था द्वारा वहन किया जाएगा, जबकि शेष 40% राशि का योगदान उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा किया जाएगा। यह एक सहयोगात्मक मॉडल है जो सरकार और जनता के संयुक्त प्रयासों को बढ़ावा देता है।
योजना के मुख्य उद्देश्य:
- जनभागीदारी को बढ़ावा: नागरिकों को अपने गांव के विकास में सीधे तौर पर शामिल होने का अवसर प्रदान करना।
- ग्रामीण बुनियादी ढांचे का विकास: गांवों में आवश्यक सुविधाओं जैसे स्कूल, स्वास्थ्य केंद्र, खेल मैदान, सड़कों आदि का निर्माण और उन्नयन करना।
- आत्मनिर्भरता को बढ़ावा: गांवों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक कदम, जहां स्थानीय लोग अपने स्वयं के विकास में सक्रिय भूमिका निभा सकें।
- भावनात्मक जुड़ाव: उन लोगों को अपनी जड़ों से जुड़ने का मौका देना जो गांव से बाहर रहते हैं और अपनी मातृभूमि के लिए कुछ करना चाहते हैं।
- पारदर्शिता और जवाबदेही: परियोजना के निष्पादन में दानदाताओं की सीधी भागीदारी से पारदर्शिता सुनिश्चित करना।
योजना के अंतर्गत कौन-कौन से कार्य किए जा सकते हैं?
मातृभूमि योजना के तहत विभिन्न प्रकार के सार्वजनिक उपयोग की सुविधाओं का निर्माण कराया जा सकता है, जिनमें प्रमुख हैं:
- सामुदायिक भवन
- आंगनबाड़ी केंद्र
- लाइब्रेरी और वाचनालय
- खेल मैदान और ओपन जिम
- सीसी सड़कें (सीमेंट कंक्रीट सड़कें)
- हाईमास्ट एवं सोलर लाइट
- शुद्ध पेयजल के लिए आरओ प्लांट
- सीसीटीवी कैमरे
- सीवर से संबंधित कार्य
- दूध डेयरी
- अग्निशमन सेवा केंद्र
- बस स्टैंड और यात्री सुविधा के लिए कमरा
- शौचालय
- कौशल विकास केंद्र
- पशु प्रजनन केंद्र
- श्मशान घाट
- कन्या इंटर कॉलेज या अन्य शैक्षणिक संस्थान
सम्मान का प्रतीक और प्रोत्साहन:
इस योजना का एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि विकास कार्य में भाग लेने वाले व्यक्ति/परिवार का नाम निर्माण स्थल पर शिलापट्ट पर अंकित किया जाता है। यह दानदाता के योगदान को स्थायी रूप से मान्यता देता है, जिससे आने वाली पीढ़ियां उनके योगदान को याद रख सकें। कुछ मामलों में परियोजना का नामकरण भी दानदाता की इच्छानुसार किया जा सकता है, जिससे व्यक्तिगत जुड़ाव और सम्मान की भावना बढ़ती है।
आवेदन प्रक्रिया और कार्यान्वयन:
मातृभूमि योजना के तहत आवेदन की प्रक्रिया पूरी तरह से ऑनलाइन है, जिससे इच्छुक व्यक्ति आसानी से इसमें भाग ले सकते हैं। पंचायती राज विभाग इस योजना के कार्यान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आवेदन के बाद, परियोजना की व्यवहार्यता का आकलन किया जाता है और सरकारी हिस्सेदारी के साथ कार्य शुरू किया जाता है।
ग्रामीण विकास में एक क्रांति:
उत्तर प्रदेश मातृभूमि योजना वास्तव में ग्रामीण विकास की दिशा में एक क्रांतिकारी पहल है। यह केवल भौतिक विकास तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह गांवों के साथ एक भावनात्मक और सामाजिक रिश्ते को भी मजबूत कर रही है। यह सरकार और जनता के बीच साझेदारी का एक बेहतरीन उदाहरण है, जो मिलकर उत्तर प्रदेश के गांवों को आधुनिक, आत्मनिर्भर और समृद्ध बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं। इस योजना से लखनऊ, बुलंदशहर, उन्नाव, बिजनौर, बागपत सहित तमाम जिलों में विकास की रफ्तार तेज हुई है और कई गांवों की तस्वीर बदल रही है।