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                                                       सरकारी योजना धमाका: हर ज़रूरतमंद तक, हर सरकारी लाभ

मुख्यमंत्री सुपोषण किट योजना 2025: राजस्थान की माताओं और बच्चों के लिए पोषण सुरक्षा

राजस्थान सरकार ने राज्य में कुपोषण की चुनौती से निपटने और गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली माताओं तथा अतिकुपोषित बच्चों के स्वास्थ्य व पोषण स्तर में सुधार लाने के लिए मुख्यमंत्री सुपोषण किट योजना (Mukhyamantri Suposhan Kit Yojana) को लागू किया है। 2025 में इस योजना को और अधिक प्रभावी ढंग से विस्तारित करने की योजना है, जिससे राज्य के एक बड़े वर्ग को पोषण संबंधी सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

योजना का मूल उद्देश्य:

मुख्यमंत्री सुपोषण किट योजना का मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित लक्ष्यों को प्राप्त करना है:

  • गर्भवती और धात्री महिलाओं का पोषण: गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान महिलाओं को अतिरिक्त पौष्टिक आहार प्रदान करना, जिससे मातृ-शिशु मृत्यु दर में कमी आए।
  • अतिकुपोषित बच्चों का स्वास्थ्य: गंभीर रूप से कुपोषित (SAM) और मध्यम रूप से कुपोषित (MAM) बच्चों के पोषण स्तर में सुधार लाना।
  • कुपोषण उन्मूलन: राज्य से कुपोषण की समस्या को जड़ से खत्म करने की दिशा में ठोस कदम उठाना।
  • स्वास्थ्य जागरूकता: माताओं और परिवारों के बीच पोषण और स्वास्थ्य संबंधी जागरूकता बढ़ाना।
  • स्वस्थ पीढ़ी का निर्माण: बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास को बढ़ावा देकर एक स्वस्थ और मजबूत पीढ़ी का निर्माण करना।

योजना के मुख्य लाभ (2025 के प्रस्तावित विस्तार के साथ):

यह योजना लक्षित लाभार्थियों को सीधे पोषण सहायता प्रदान करती है:

  1. गर्भवती महिलाओं के लिए सुपोषण न्यूट्री किट:
    • लगभग 2.35 लाख गर्भवती महिलाओं को इस योजना से लाभान्वित करने का लक्ष्य रखा गया है।
    • गर्भावस्था के अंतिम पांच महीनों (5वें से 9वें महीने तक) में महिलाओं को विशेष पोषण किट प्रदान की जाती है।
    • इस किट में 1 किलो देसी घी, आधा किलो खजूर, मखाना, रोस्टेड मूंगफली, रोस्टेड चना, फोर्टिफाइड चावल, मिल्क पाउडर और गुड़ आदि पौष्टिक सामग्री शामिल होती है।
    • यह किट गर्भावस्था में दो बार दी जाएगी।
    • इस योजना पर लगभग ₹25 करोड़ का खर्च अनुमानित है, जिसमें प्रति महिला लगभग ₹1,000 का खर्च आएगा।
  2. अतिकुपोषित बच्चों के लिए पोषण:
    • अतिकुपोषित बच्चों को सप्ताह में 5 दिन 25 ग्राम दूध पाउडर प्रदान किया जाएगा।
    • आंगनवाड़ी केंद्रों पर 3 से 6 वर्ष के बच्चों को सप्ताह में पांच दिन दूध उपलब्ध कराने की मौजूदा व्यवस्था को भी जारी रखा जाएगा, जिसे पहले सप्ताह में तीन दिन दूध दिया जाता था।

योजना की कार्यप्रणाली:

  • आंगनवाड़ी केंद्रों के माध्यम से वितरण: यह योजना मुख्य रूप से आंगनवाड़ी केंद्रों के माध्यम से संचालित की जाती है। लाभार्थी महिलाएं और बच्चों के अभिभावक अपने नजदीकी आंगनवाड़ी केंद्र से पोषण किट और दूध प्राप्त कर सकते हैं।
  • यूनिसेफ के दिशानिर्देशों का पालन: किट में शामिल सामग्री यूनिसेफ (UNICEF) के पोषण संबंधी दिशानिर्देशों के अनुसार होती है, जिससे पोषण गुणवत्ता सुनिश्चित होती है।
  • प्रत्यक्ष निगरानी: योजना के प्रभावी कार्यान्वयन और लाभार्थियों तक सही पोषण पहुंचाने के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा नियमित निगरानी की जाती है।

पात्रता मापदंड (मुख्यतः):

  • मूल निवासी: लाभार्थी महिला और बच्चा राजस्थान राज्य के मूल निवासी होने चाहिए।
  • गर्भवती महिलाएं: योजना के तहत पंजीकृत गर्भवती महिलाएं (जो आंगनवाड़ी केंद्रों पर अपना पंजीकरण कराती हैं)।
  • धात्री महिलाएं: स्तनपान कराने वाली माताएं।
  • अतिकुपोषित बच्चे: महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा चिन्हित अतिकुपोषित बच्चे।

आवेदन प्रक्रिया:

इस योजना के लिए आमतौर पर अलग से कोई विशिष्ट आवेदन प्रक्रिया नहीं होती है। यह आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के माध्यम से लाभार्थियों की पहचान और पंजीकरण के आधार पर संचालित होती है।

  1. आंगनवाड़ी में पंजीकरण: गर्भवती महिलाओं को अपनी गर्भावस्था के दौरान आंगनवाड़ी केंद्र में पंजीकरण करवाना होगा।
  2. बच्चे का पंजीकरण: बच्चे के जन्म के बाद और उसके बाद के विकास के लिए भी आंगनवाड़ी केंद्र में पंजीकरण करवाना आवश्यक होगा।
  3. चिन्हांकन: अतिकुपोषित बच्चों की पहचान आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और स्वास्थ्य विभाग के कर्मियों द्वारा की जाती है।
  4. वितरण: पंजीकृत लाभार्थियों को पोषण किट और दूध आंगनवाड़ी केंद्रों से सीधे वितरित किया जाता है।

योजना का प्रभाव (2025 के संदर्भ में):

मुख्यमंत्री सुपोषण किट योजना राजस्थान में मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक गेम चेंजर साबित हो रही है। 2025 में इसके प्रस्तावित विस्तार के साथ, यह योजना लाखों परिवारों को सीधे लाभ पहुंचाएगी। पोषण किट के माध्यम से मिलने वाला अतिरिक्त आहार गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य को बेहतर बनाएगा, जिससे स्वस्थ शिशुओं का जन्म होगा। अतिकुपोषित बच्चों को दूध और अन्य पौष्टिक आहार मिलने से उनका शारीरिक और मानसिक विकास सुनिश्चित होगा। यह योजना राजस्थान को कुपोषण मुक्त बनाने और एक स्वस्थ, मजबूत तथा सक्षम समाज के निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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