विवाह भारतीय समाज का एक महत्वपूर्ण संस्कार है, लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के लिए अपनी बेटियों का विवाह कराना अक्सर एक बड़ी चुनौती बन जाता है। इस समस्या को समझते हुए, उत्तर प्रदेश सरकार ने “मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना” की शुरुआत की है, जो ऐसे परिवारों की बेटियों और विधवा/तलाकशुदा महिलाओं के पुनर्विवाह में आर्थिक सहायता प्रदान करती है और उन्हें सम्मानपूर्वक विवाह करने का अवसर देती है।1
योजना का उद्देश्य:
इस योजना का मुख्य उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों की बेटियों को विवाह के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना, दहेज प्रथा को हतोत्साहित करना, और सामूहिक विवाहों को बढ़ावा देकर विवाहों को अधिक किफायती और सामाजिक रूप से स्वीकार्य बनाना है। यह योजना विधवा और तलाकशुदा महिलाओं को भी पुनर्विवाह के लिए समर्थन देती है, जिससे उन्हें समाज में सम्मानजनक स्थान मिल सके।2
योजना के मुख्य लाभ:
मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के तहत, उत्तर प्रदेश सरकार प्रति लाभार्थी युगल के विवाह पर कुल ₹51,000/- (हाल के कुछ प्रस्तावों के अनुसार इसे ₹1,00,000/- तक बढ़ाने का प्रस्ताव भी है) धनराशि व्यय करती है।3 यह राशि विभिन्न मदों में वितरित की जाती है:
- कन्या के खाते में सीधी आर्थिक सहायता: ₹35,000/- (प्रस्तावित वृद्धि के बाद ₹60,000/- तक) सीधे कन्या के बैंक खाते में हस्तांतरित किए जाते हैं, ताकि वह अपनी जरूरतों के अनुसार इसका उपयोग कर सके।4
- वैवाहिक सामग्री/उपहार: ₹10,000/- (प्रस्तावित वृद्धि के बाद ₹25,000/- तक) की वैवाहिक सामग्री या उपहार जैसे कपड़े, गहने, बर्तन आदि वर-वधू को विवाह के समय उपलब्ध कराए जाते हैं।5
- आयोजन पर खर्च: ₹6,000/- (प्रस्तावित वृद्धि के बाद ₹15,000/- तक) विवाह समारोह के आयोजन, जैसे पंडाल, भोजन, बिजली, पानी, स्टेज आदि की व्यवस्था पर खर्च किए जाते हैं।6
पात्रता मापदंड:
इस योजना का लाभ उठाने के लिए निम्नलिखित पात्रता शर्तों को पूरा करना आवश्यक है:
- उत्तर प्रदेश का मूल निवासी: कन्या और वर दोनों उत्तर प्रदेश के मूल निवासी होने चाहिए।
- आय सीमा: आवेदक के परिवार की वार्षिक आय ₹2 लाख (हाल के प्रस्तावों के अनुसार इसे ₹3 लाख तक बढ़ाने का प्रस्ताव है) से अधिक नहीं होनी चाहिए।
- आयु सीमा: विवाह के समय कन्या की आयु 18 वर्ष या उससे अधिक और वर की आयु 21 वर्ष या उससे अधिक होनी चाहिए।
- पूर्व में विवाह न किया हो: कन्या का पूर्व में विवाह न हुआ हो। (विधवा/तलाकशुदा महिलाओं के पुनर्विवाह के मामले में यह शर्त लागू नहीं होती)।
- अन्य योजना का लाभ नहीं: आवेदक ने केंद्र या राज्य सरकार की किसी अन्य विवाह सहायता योजना का लाभ न लिया हो।
- सामूहिक विवाह में सहभागिता: इस योजना का लाभ सामूहिक विवाह समारोह में शामिल होने पर ही मिलता है।
आवेदन प्रक्रिया:
मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के लिए आवेदन प्रक्रिया मुख्य रूप से ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से पूरी की जा सकती है:
- ऑनलाइन आवेदन: आवेदक उत्तर प्रदेश समाज कल्याण विभाग की आधिकारिक वेबसाइट (kalyansaathi.in) या जन सुविधा केंद्र (CSC) के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।
- ऑफलाइन आवेदन: संबंधित जिला समाज कल्याण अधिकारी कार्यालय या ब्लॉक कार्यालय से आवेदन पत्र प्राप्त कर उसे भरकर आवश्यक दस्तावेजों के साथ जमा किया जा सकता है।
आवश्यक दस्तावेज:
आवेदन के लिए कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज इस प्रकार हैं:
- आधार कार्ड (कन्या और वर दोनों का)
- निवास प्रमाण पत्र
- आय प्रमाण पत्र
- जाति प्रमाण पत्र (यदि लागू हो)
- बैंक पासबुक की कॉपी (कन्या की)
- जन्म प्रमाण पत्र या आयु प्रमाण पत्र (मार्कशीट)
- पासपोर्ट साइज फोटो (कन्या और वर दोनों की)
- विधवा या तलाकशुदा होने की स्थिति में संबंधित प्रमाण पत्र
आयोजन और चयन प्रक्रिया:
सामूहिक विवाह समारोह का आयोजन जिला प्रशासन द्वारा किया जाता है, जिसमें कम से कम 10 जोड़ों का होना आवश्यक है।7 जिला मजिस्ट्रेट या उनके द्वारा नामित अधिकारी की देखरेख में जिला समाज कल्याण विभाग इस पूरे कार्यक्रम की व्यवस्था करता है। आवेदन पत्रों की जांच और सत्यापन के बाद पात्र जोड़ों का चयन किया जाता है।
निष्कर्ष:
मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना उत्तर प्रदेश सरकार की एक सराहनीय पहल है, जो उन परिवारों को राहत प्रदान करती है जो अपनी बेटियों के विवाह को लेकर चिंतित रहते हैं। यह योजना न केवल वित्तीय सहायता प्रदान करती है, बल्कि सामाजिक समरसता और समानता को भी बढ़ावा देती है, जिससे सभी वर्गों की बेटियों को सम्मान के साथ विवाह करने का अवसर मिल सके। यह निश्चित रूप से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने में सहायक सिद्ध हो रही है।